Program Brief
आज भारत का युवा सकारात्मक ऊर्जा और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत है ।उसी राष्ट्रीय भावना के कारण आज चाहे राष्ट्रमंडल खेल हो या एशिया क्षेत्र के दूसरे खेल में भारत के खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है यह उद्गार राष्ट्रीय खेल दिवस की पूर्व बेला पर ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र झोझूकलां में एशियन खिलाड़ी अभिषेक सांगवान के सम्मान में आयोजित सम्मान समारोह में क्षेत्रीय प्रभारी ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने व्यक्त किए। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अभिषेक सांगवान के पिता प्रीतम सांगवान बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। संपूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध व्यवसायी सेठ श्याम लाल गर्ग ने की। सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने अतिथियों का तिलक लगाकर व अंग वस्त्र पहनाकर अभिनंदन किया ।तदुपरांत क्षेत्रीय संचालिका ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन, दर्शना देवी ,लक्ष्मी देवी, प्रोफेसर जितेंद्र आर्य ,सामाजिक कार्यकर्ता बिशन सिंह आर्य ,बीके सुनील कुमार तिवाला इत्यादि ने पगड़ी पहनाकर , साहित्य व स्मृति चिन्ह भेंट कर प्रीतम सांगवान व उनके सुपुत्र अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अभिषेक सांगवान का अभिनंदन किया । इस अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता अपने विचार प्रकट करते हुए ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने कहा कि वॉलीबॉल एशियन चैंपियनशिप में अभिषेक सांगवान ने 14 वर्षों के बाद भारत की झोली में कांस्य पदक दिलाने में सहयोग किया है ।यह पूरे क्षेत्र के लिए गौरव और सम्मान की बात है ।उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को एकाग्रता पूर्वक अपनी खेल भावना से ओतप्रोत होकर खेलना चाहिए। बिना ध्यान और एकाग्रता के हम संपूर्ण सफलता प्राप्त नहीं कर सकते तथा खिलाड़ियों को योगाभ्यास प्राणायाम व ध्यान के लिए भी प्रतिदिन एक घंटा अवश्य निकालना चाहिए ।सम्मान समारोह में बोलते हुए बिशन सिंह आर्य ने हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की खेल भावना व राष्ट्रीय भावना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरा देश अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी ध्यानचंद जी के समर्पण, राष्ट्रीय भावना सदैव याद रखेगा ।उनके जन्मोत्सव को ही खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है । मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को संगम नगरी इलाहाबाद में हुआ। 1922 में सेना में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए। उन्होंने भारत की तरफ से खेलते हुए 1928, 1932 और 1936 के बर्लिन ओलंपिक में लगातार भारत को हॉकी में स्वर्ण पदक दिला कर अपनी अद्भुत खेल प्रतिभा का परिचय दिया। उन्होंने उस समय के तानाशाह हिटलर के अपनी सेना की तरफ से जर्मनी की टीम तरफ खेलने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए भारतीय सेना में खेलने की बात कहकर अपनी राष्ट्रीय भावना का परिचय दिया। जो आज हर युवा के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। आज हर युवा को मेजर ध्यानचंद की राष्ट्रीय भावना से प्रेरणा लेकर देश हित में खेलने की का संकल्प लेना चाहिए। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार मास्टर सुनील कुमार तिवाला ने किया। उन्होंने उपस्थित सभी सज्जनों को साहित्य देकर आभार व्यक्त किया ।सम्मान समारोह के सफल संचालन में प्रोफेसर जितेंद्र आर्य, अशोक शर्मा रामबास ,बलवान सिंह झोझू,चंद्रभान रामबास, बृजलाल जांगड़ा, धर्मवीर , श्यामलाल गर्ग, दर्शना देवी इत्यादि का विशेष सहयोग रहा।