Program Brief
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सह-संस्थान राजयोग एज्युकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के व्यापार एवं उद्योग प्रभाग द्वारा दलसिंहसराय के विद्या कुंज कोचिंग सेंटर सभागार में व्यवसायियों के लिए आन्तरिक शक्तियों द्वारा खुशनुम: एवं स्वस्थ जीवन विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। <br/><br/>कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन द्वारा समस्तीपुर से पधारे कृष्ण भाई जी, बी. के. सविता बहन, दलसिंहसराय वाणिज्य परिषद् के अध्यक्ष विजय कुमार सुरेका, स्वर्ण व्यवसायी संघ के अध्यक्ष चंदन कुमार सर्राफ, संतोष कुमार सुरेका, कोचिंग सेंटर के संचालक विद्यासागर जी ने सामूहिक रूप से किया।<br/><br/>विषय पर अपना संबोधन करते हुए तरुण भाई ने कहा कि जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं, मूल रूप से उसका दो ही उद्देश्य होता है- अपनी और अपनों की खुशी, अपना और अपनों का स्वास्थ्य। इसके लिए हम अपने तन-मन-धन-जन की शक्ति यथासंभव लगाते हैं और इन शक्तियों को बढ़ाने पर हमारा हमेशा विशेष ध्यान रहता है। लेकिन जिस मन की शक्तियों द्वारा हम बाकी सभी शक्तियों की संभाल करते हैं उसका हम कामचलाऊ ध्यान रखते हैं। जिससे हमारा मन रह-रहकर दुःखी, तनावग्रस्त, चिंतित, भयभीत होता रहता है और हम इसे जीवन का स्वाभाविक हिस्सा मानकर जीवन जीते रहते हैं। वास्तव में जैसे तन को खुराक की जरूरत होती है वैसे ही मन को भी शुद्ध, सकारात्मक और शक्तिशाली विचारों रूपी खुराक की जरूरत होती है। जो हमें परमात्म-ज्ञान के माध्यम से प्राप्त होता है। इससे हमारा मन ऊर्जावान और सशक्त होता है, खुशी, शान्ति और प्रेम हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनने लगते हैं। मन के विचारों का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। एक विचार हार्ट अटैक या हाई बीपी का कारण बन सकता है तो क्या एक विचार हमारे तन को निरोगी बनाने में मददगार साबित नहीं हो सकता है? राजयोग के माध्यम से परमात्मा पिता से संबंध जोड़कर हमारे विचारों का शुद्धिकरण होता है और यह हमारे तन को आरोग्य प्रदान करने में मददगार साबित होता है। राजयोगी जीवनशैली अपनाने वाले अनेकानेक भाई-बहन इस विधि को अपनाकर अनेक असाध्य रोगों से मुक्त हुए हैं और हो रहे हैं।<br/><br/>समस्तीपुर से पधारे कृष्ण भाईजी ने कहा कि व्यवसायी अपना समय-शक्ति लगाकर सेवा द्वारा लाभ कमाने की भावना से समाज की जीवनोपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति करते हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैं जब इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में गया और यहां का ज्ञान श्रवण किया तो उससे मुझे अपार शान्ति का अनुभव हुआ और मुझे ऐसा लगा कि इस ज्ञान की मुझे भी जरूरत है और सब को जरूरत है। मैं जब यह ज्ञान किसी को सुनाता तो तुरंत बहुत खुशी का अनुभव होता और तब से लेकर आज तक इस ईश्वरीय ज्ञान को स्वयं के जीवन में धारण कर जन जन तक पहुंचाने का व्रत ले लिया और मैं ज्ञान रत्नों का भी व्यापारी बन गया, जिसके परिणाम स्वरूप जीवन में सुख, शान्ति, खुशी, संतोष आदि गुणों का विकास हुआ और पारिवारिक जीवन भी सुखमय हो गया। <br/><br/>सविता बहन ने राजयोग मेडिटेशन द्वारा शान्ति की अनुभूति करवाई। सोनिका बहन ने कार्यक्रम का संचालन किया। विनोद भाई ने धन्यवाद ज्ञापन किया। <br/><br/>कार्यक्रम का संयोजन सुशील कुमार चमड़िया ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से ज्योति अग्रवाल, सुनील सुरेका, श्याम कुमार लाल, सुरेश जगनानी, अशोक सुरेका, मनोज सुरेका, अधिवक्ता गणेश साह, राजू साह, श्रीराम सोनी, संतोष कुमार वर्णवाल, जयनारायण ठाकुर आदि उपस्थित थे।