सशक्त मन से खेलेगा इंडिया तो जीतेगा इंडिया

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Sep 26 - 26, 2022 04:25 PM To 05:45 PM
  • Organiser
    PRAJAPITA BRAHMA KUMARIS ISHWARIYA VISHWA VIDYALAYA ( WOMEN`S SERVICES WING, SPORTS WING )
  • Category
    Public Event
  • Project
    General (Azadi Ka Amrit Mahotsav)
  • Occasion
    --
  • Venue
    @ Jiwaji Ganj Center
  • Center Phone
    09425109466
  • Center Email
    morena@bkivv.org
  • Subject/Topic/Theme
    सशक्त मन से खेलेगा इंडिया तो जीतेगा इंडिया ( General (Azadi Ka Amrit Mahotsav) )
  • Speaker
    BK Rekha
  • Guests
    डॉ. आर सी बांदिल, पूर्व सी.एम्.एच.ओ. , अविनाश सिंह राजावत हॉकी कोच ,
  • Beneficieries
    165
  • Audience Type
    --
  • Links
    --
  • Program Brief
    🌻 प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, केंद्र मुरैना होली हाउस जीवाजी गंज मैं खेलकूद के ऊपर स्नेह सम्मेलन रखा गया जिसमें लगभग 50 खिलाड़ियों एवं एथलेटिक, हॉकी कोचो ने भाग लिया; साथ ही 50 भाई- बहनों ने भी हिस्सा लिया। <br/>सर्वप्रथम राजयोगिनी तपस्विनी बी.के.रेखा बहन जी ने कहा मन कमजोर नहीं होगा तो निश्चित है हमें सफलता जरूर मिलेगी। एकाग्रता सफलता की चाबी है और ईश्वरीय ज्ञान दिया गया एवं खेल के द्वारा अपने स्वस्थ को कैसे ठीक रखना है तथा यह भी कहा प्रत्येक दिन मेडिटेशन करने से मन एकाग्र होता है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, इसी तरह से खेल खेलने से भी व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। आज पुराने खेल प्राय लुप्त से हो चुके हैं और बच्चे मोबाइल टीवी से खेल-खेल कर मनोरंजन करते हैं; जोकि उचित नही है इनके बाद कुमारी ज्योति चौहान एथलेटिक कोच में भी खेल की महिमा और अपने उद्बोधन में यह कहा कि फिर आज के समय में बालक बालिकाओं के लिए जरूरी है खेलने के लिए शासन की विभिन्न प्रकार की सहायता देता है जिससे आम जन में खेल के प्रति प्रेरणा जागृत हो।<br/> अविनाश सिंह राजावत हॉकी कोच ने सभी खिलाड़ियों को समझाया खेल की भावना हारने जीतने से नहीं होती; जीतना तो अच्छा लगता ही है; लेकिन हार कर भी यह सीखने को मिलता है कि हमने गलती कहां की थी और हम इसमें कैसे सुधार लाएं । यथार्थ हारने पर मायूस नहीं होना चाहिए और बताया कि मैं अपने देश में 6 बार ओलंपिक जीता जो कि अभी तक का रिकॉर्ड किसी देश ने नही तोड़ा है । <br/>तत्पश्चात कुमारी ओजस्वी जोकि फिजियोथैरेपी का कोर्स कर रही हैं उन्होंने यह स्पष्ट किया कि खेलने से वास्तव में शरीर की कसरत हो जाती है, चाहे कोई भी खेल हो शरीर का, हर हिस्सा कसरत के साथ हष्ट पुष्ट हो जाता है अलग से कसरत करने की जरूरत नहीं होती तथा साथ ही यह भी बताया कि खेल में खेलते खेलते हैं वो एकाग्र चित्त भी होते हैं तभी के लोगों ने जीत प्राप्त होती है और व्यक्ति की स्मरण शक्ति बढ़ती है। पूर्व के समय में बच्चे गिल्ली -डंडा ,सितोलिया, आसपास, छुपन- छुपाई, बर्फ पानी ,बैट बॉल इत्यादि खेल खेला करते थे।<br/>अंत मे पूर्व मुख्य चिकत्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर. सी. बांदील ने कहा कि पूर्व समय में बच्चे घरों में मोहल्लों में तथा रिश्तेदारी में जाकर खेल खेलते थे । खेल खेल में ही कसरत हो जाती थी परंतु आज के समय में खेलना खेलते हुए घर घर पर मोबाइल में गेम खेलते हैं और फिर कसरत के लिए जिम में जाते हैं। खेलने से एकाग्रता बढ़ती है मनोबल बढ़ता है तथा उमंग उत्साह बच्चों में रहता है। कोई भी खेल हो आप देखें कि उसके लिए पहले तो समय की पाबंदी होती है, निशाना होता है ,एकाग्रता होती है, तब कहीं जाकर के खेल जीतते या हार जाते हैं।<br/>कार्यक्रम अंत में रिति अनुसार रेखा बहन जी द्वारा सभी कोचेस को ईश्वरीय सौगात भेंट की गई भोग प्रसादी दे देकर कार्यक्रम को समापन किया गया|
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