Program Brief
*मेरी संस्कृति मेरी पहचान*<br/> *समाज में दिया सकारात्मक संदेश*<br/> ब्रह्माकुमारीज शिव वरदानी धाम में हुआ आयोजित कार्यक्रम<br/> ब्रह्माकुमारीज के कला एवं संस्कृति प्रभाग तथा शिपिंग एविएशन एवं टूरिज्म विंग व समाज सेवा प्रभाग के अंतर्गत उक्त कार्यक्रम का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के बैनर तले किया गया. <br/> उक्त कार्यक्रम में हर प्रदेश के कल्चर को दिखाया गया जिसमें गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी, बंगाली,मराठी, नेपाली, आसामी, साउथ इंडियन, बिहार उत्तर प्रदेश, बंबईया, हरियाणा, कश्मीर आदि प्रदेशों एवं संस्कृति के वेशभूषा में पधारे कला एवं संस्कृति प्रभाग के भाई बहनों ने दी मनोरम प्रस्तुति....<br/>एवं वहां की सस्कृति के बारे में भी बताया एवं नृत्य द्वारा वहां की कला को प्रदर्शित किया. <br/> उक्त कार्यक्रम में मालवा कला मंडल के सस्थांपक भ्राता शिवाजी सोनी मुख्य अतिथि के रूप से शामिल हुए <br/> मंचासीन ने ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी एवं ब्रह्माकुमारी चंदा बहन जी एवं भ्राता शिवाजी सोनी संस्थापक मालवा कला मंडल शाजापुर <br/> मेरी संस्कृति मेरी पहचान विषय पर उद्बोधन देते हुए ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी ने कहा कि हमारे देश में हर प्रदेश हर संस्कृति एक विशेष संदेश देती है .... <br/>आप जिस भी प्रदेश में जाएंगे वहां देखेंगे कि हर जगह बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं,<br/>वहां बहुत सुंदर मर्यादित पहनावा होता है,<br/> वहां की अपनी भाषा होती है,<br/>अपनी मान्यताओं अनुसार वे परमात्मा को याद करते हैं उनका ध्यान करते हैं, पूजन करते हैं. <br/>हमारे हर कल्चर में एक बहुत सुंदर संदेश भी छुपा होता है लेकिन आज देखने में आ रहा है कि अभी की वर्तमान जनरेशन और कुछ उनके माता-पिता भी विदेशी कल्चर को अपना रहे हैं विदेशी पहनावा व विदेशी खानपान में ज्यादा रूचि ले रहे हैं और हमारी भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे हैं और आने वाली नई पीढ़ी को भी वे विदेशी कल्चर ही सिखा रहे हैं क्योंकि बच्चे जैसा देखते हैं वैसा ही सीख जाते हैं आप उन्हें कहे ना कहे वह आपको देखकर ही कॉपी कर लेते हैं.<br/> लेकिन वास्तव में हमें किसी भी विदेशी कल्चर को अपनाने की आवश्यकता ही नहीं जब हमारे भारत देश में इतनी सुंदर संस्कृति है कितना सुंदर पहनावा है आप जानते होंगे खाने-पीने में भी जितने वैरायटी व्यंजन भारत में बनाए जाते हैं उतने किसी भी देश में नहीं बनाए जाते है. प्राकृतिक सुंदरता से भी भरपूर है हमारा भारत तो ब्रह्माकुमारी संस्थान के द्वारा पूरे भारत भर में इस आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत जब भारत देश आजाद हुए 75 वर्ष मना रहा है तो ब्रह्माकुमारी संस्थान के कला एवं संस्कृति प्रभाग एवं समाज सेवा प्रभाग के अंतर्गत....<br/> हम हमारे भारत देश के लोगों को आने वाली नई पीढ़ी को यह संदेश देना चाहते हैं कि हमारी भारतीय संस्कृति हमारी पहचान है हमारी ताकत है विदेशी लोग तो भारतीय संस्कृति को देखने के लिए सीखने के लिए भारत में आते हैं वे भारत में आकर भारत का प्राचीन राजयोग सीखते हैं हमने ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू में हजारों विदेशियों को देखा है राजयोग सीखते हैं 140 देशों के लोग ब्रह्माकुमारी संस्थान में आते हैं भारत का प्राचीन राजयोग सीखने के लिए....<br/> और हमारे भारतीय बच्चे विदेशी कल्चर को अपना रहे हैं इसमें कहीं ना कहीं गलती हम बड़ों की भी हो सकती है क्योंकि जब तक हम खुद अपने कर्म के द्वारा हमारी संस्कृति को उनके सामने रखेंगे तब तक नई पीढ़ी उसे समझ नहीं पाएंगे<br/>आप देखिए आज हमारे यहां हर प्रदेश के वेश भूषा में भाई-बहन आपको संदेश देने के लिए आए हुए हैं.<br/> उक्त कार्यक्रम में मालवा कला मंडल के संस्थापक भ्राता शिवाजी सोनी ने आज के इस मेरी संस्कृति मेरी पहचान कार्यक्रम पर ब्रह्माकुमारी संस्थान को बहुत-बहुत बधाई एवं आभार व्यक्त हुए कहा कि कि वास्तव में यह एक सराहनीय कदम ब्रह्माकुमारी संस्थान ने आगे बढ़ाया है जबकि हमारे बच्चे भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे है और विदेशी संस्कृति को अपना रहे हैं ऐसे समय पर भारत की संस्कृति को दुनिया के सामने रख आप एक सुंदर संदेश दे रहे हैं कि वास्तव में भारत देश अपनी संस्कृति के कारण ही सारे विश्व में विश्व गुरु के रूप में जाना जाता है यह कार्यक्रम समाज में एक बदलाव लाएगा और फिर भारतीय संस्कृति संपूर्ण विश्व में उभरकर सबके सामने आएगी ऐसी मेरी शुभ आशा है. <br/> कार्यक्रम में ब्रह्माकुमार दीपक भाई ने मंच का संचालन करते हुए कहा कि यह 75 वा भारत की आजादी का वर्ष भारत को स्वर्णिम भारत की ओर ले कर जा रहा है हम हमारे सुंदर संस्कृति को संपूर्ण विश्व में प्रत्यक्ष करते हुए भारत का स्वर्णिम भारत बनाकर ही दिखाएंगे बस शर्त हैं कि हम यह प्रयास स्वयं से करें हम यह बदलाव हमारे घर परिवार से लाए.<br/>हम दूसरे को कॉपी नहीं करें बल्कि हमारे सनातन संस्कृति को हमारी भारतीय संस्कृति को बड़े गर्व के साथ स्वीकार करें एवं पाश्चात्य संस्कृति को दरकिनार करें.<br/><br/> इस कार्यक्रम में हर प्रदेश की वेशभूषा में पधारे अतिथियों ने अपनी अपनी संस्कृति के बारे में बताया एवं वहां का प्रचलित सुंदर नृत्य भी प्रस्तुत किया... <br/>पंजाबी कल्चर में गुरुचरण सिंह एवं बिंदु कोर<br/> राजस्थानी वेशभूषा में गंगाराम राजपूत एवं विद्या राजपूत<br/> नेपाली कल्चर में मनोज भाई एवं सुनीता बहन <br/> आसाम से संगीता बहन व कुमारी कनिष्का,<br/> हरियाणा से बहन शीतल एवं बहन कास्वी <br/> साउथ इंडिया से कृष्णन अय्यर के रूप में रवि भाई.<br/> बंगाल से विधि बहन,<br/> महाराष्ट्र से रितिका बहन,<br/> गुजरात से विद्या बहन एवं लीना बहन, <br/>कश्मीर से ममता बहन,<br/> यूपी बिहार के वेशभूषा में कुणाल भाई,<br/><br/> उक्त कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों व संस्था के सदस्य एवं शाजापुर के गणमान्य नागरिकों का आभार ब्रह्माकुमारी चंदा बहन जी ने अपने शब्दों के द्वारा किया <br/>और कहा की हमारा सारा भारत देश अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न धर्म जाति संप्रदायों के होते हुए विभिन्नता में एकता का संदेश देता है.<br/>आज आपका अमूल्य समय सफल हुआ है क्योंकि यह कार्यक्रम हर समाज को, हर व्यक्ति को एक नया संदेश देने जा रहा है.....<br/> गर्व से कहो हम भारतीय हैं भारत माता की जय, वंदे मातरम, परमात्मा शिव भगवान का एवं उनके साथ आप सभी का एक बार फिर आभार........ ओम शांति <br/><br/> कार्यक्रम के पश्चात सभी प्रदेशो कि वेशभूषा में पधारे अतिथियों ने नारे भी लगाए <br/>मेरा देश - मेरी शान, <br/>मेरी संस्कृति - मेरी पहचान, <br/>मेरा भारत - महान है, <br/>वन्दे - मातरम<br/>भारत भूमि महान है - जिसमे आते शिव भगवान है <br/> आदि नारे लगाए....