Guiding Principles for Better World

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Jul 17 - 17, 2022 10:00 AM To 12:00 PM
  • Organiser
    RAJYOGA EDUCATION AND RESEARCH FOUNDATION ( JURISTS WING )
  • Category
    Webinar
  • Project
    General (Azadi Ka Amrit Mahotsav)
  • Occasion
    --
  • Venue
    Brahmakumaris, Dk 3/60, Kolar Road, Bhopal
  • Center Phone
    09425303630
  • Subject/Topic/Theme
    Guiding Principles for Better World ( General (Azadi Ka Amrit Mahotsav) )
  • Speaker
    B K Kiran<br/>Ravindra Tiwari<br/>Sadhna Pathak<br/>Shivanshu Pandey
  • Guests
    Ravindra Tiwari, Senior Advocate, Bhopal Sadhna Pathak, Senior Advocate, Bhopal Shivanshu Pandey, Advocate, Raipur
  • Beneficieries
    150
  • Audience Type
    --
  • Program Brief
    अध्यात्मपरक परस्परता का सम्मान ही न्याय का मूलाधार है<br/>-बी.के. किरण<br/> वर्ल्ड डे फॉर इंटरनेशनल जस्टिस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की कोलार शाखा के न्यायविद प्रभाग द्वारा "बेहतर विश्व हेतु मार्गदर्शक सिद्धांत" विषय पर एक वेबीनार का आयोजन हुआ। आयोजन का शुभारंभ करते हुए कार्यक्रम संयोजक एवं कोलार शाखा की प्रभारी ब्रह्मा कुमारी किरण ने कहा कि मोटे तौर पर देखा जाए तो इस विश्व में चार सत्तायें हैं। राज्य सत्ता, धर्म सत्ता, विज्ञान सत्ता एवं न्याय सत्ता । लेकिन चारों सत्ताओं का नेतृत्व इंसान ही करता है और इंसान के अपने विचार, विश्वास व मान्यताएं उसकी दिशा तय करती है। न्याय सत्ता एक अंतिम सत्ता या निर्णायक सत्ता के रूप में सर्वोपरि मानी जाती है । उसका कथन कानून बन जाता है। इसलिए इस सत्ता के ऊपर सार्वभौमिक लोकहितों का संरक्षण सुनिश्चित करने की सर्वाधिक जिम्मेदारी बन पड़ती है। यदि हम यह बात समझ लें कि हमारा अंतः करण हमारा सच्चा मार्गदर्शकहै और यदि हम किसी भी तरह के प्रलोभन के वश में होने से अपने आप को बचा पाते हैं, लोकहित का सदा ध्यान रखते हैं और उसे सर्वाधिक महत्व देते हैं तो स्वतः ही हर क्षेत्र में न्याय संरक्षित रहता है, उसे किसी बाह्य न्याय व्यवस्था से स्थापित करने की आवश्यकता नहीं रह जाती। इसलिए आवश्यकता है कि इस सृष्टि में रह रहा हर इंसान खुद को एक न्यायाधीश के रूप में देखे और लोकहित के पलड़े को सदा भारी रहने दे तो बेहतर विश्व का निर्माण दूर नहीं । <br/>वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी एडवोकेट रविंद्र तिवारी जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें अपने न्याय के दायित्व द्वारा समाज के वंचितों को कुछ न कुछ सार्थक देने का प्रयास होना चाहिए । यदि हम इस न्याय के दायित्व को सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाते हुए निभाएं तो निश्चित ही हम बेहतर कल ला सकते हैं।<br/> वरिष्ठ अधिवक्ता ,समाजसेवी ,चिंतक एवं विचारक साधना पाठक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अगर हमारा वर्चस्व वादी दृष्टिकोण रहेगा तो न्याय कभी हासिल नहीं हो सकता। अगर हम न्याय हासिल करना चाहते हैं तो हमें परस्परता का सम्मान करना होगा और एकजुट होकर विश्व को एक परिवार मानते हुए स्वार्थ से ऊपर उठकर हर एक का हित ध्यान रखते हुए हर कदम बढ़ाना होगा। सैद्धांतिक तौर पर विश्व की एकजुटता के लिए बनाए गए वैश्विक संगठनों की भूमिका भी न्याय संगत तभी हो सकती है जब सभीअपने निजी स्वार्थ और वर्चस्व की प्रभुता वादी भावना का त्याग कर मानव मात्र के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए कृत संकल्पित होंगे। नवोदित अधिवक्ता शिवांशु पाण्डेय ने अपने ओजस्वी विचार प्रकट करते हुए कहा की भारत देश में एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन के स्वरूप जिस नमस्ते शब्द का हम प्रयोग करते हैं उसमें मानव अधिकार के सम्मान की भावना सन्निहित है। बड़े जो अपना बड़प्पन छोड़ते हैं तो छोटे उनका सम्मान करना छोड़ देते हैं इसलिए यदि बड़े अपने बड़प्पन का पालन करें तो छोटे भी बड़प्पन की राह पर चलना सीखेंगे और एक बेहतर कल के लिए एक मजबूत आधार तैयार हो सके। डीजेबी. के. मनीष ने सभी का आभार व्यक्त किया । इस आयोजन से लगभग डेढ़ सौ लोग लाभान्वित हुए।
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