न्यायक्षेत्र में आध्यात्मिकता

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Mar 17 - 17, 2024 10:00 AM To 02:00 PM
  • Organiser
    PRAJAPITA BRAHMA KUMARIS ISHWARIYA VISHWA VIDYALAYA ( JURISTS WING )
  • Category
    Awareness Session, Seminar
  • Occasion
    --
  • Venue
    Sukh Shanti Bhawan Neelbad Bhopal
  • Center Phone
    08319247113
  • Center Email
    neelbad.bpl@bkivv.org
  • Subject/Topic/Theme
    न्यायक्षेत्र में आध्यात्मिकता ( General )
  • Speaker
    पूर्व हाई कोर्ट जस्टिस श्री राठी, श्री अमित निगम (जिला न्यायाधीश, देवास) एवं एडवोकेट एच एल झा
  • Guests
  • Beneficieries
    300
  • Audience Type
    --
  • Program Brief
    न्यायक्षेत्र में आध्यात्मिकता है बेहद आवश्यक- पूर्व हाई कोर्ट जस्टिस श्री राठी <br/><br/>अध्यात्म देता है धर्म और भक्ति को ऊर्जा- पूर्व हाई कोर्ट जस्टिस श्री राठी <br/><br/>दादी हृदय मोहिनी जी, पूर्व मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारीज़ को तृतीय स्मृति दिवस पर दी गई श्रद्धांजलि<br/><br/>भोपाल, दिनांक 17 मार्च 2024: कोई भी देश या राज्य तीन स्तंभों पर खड़ा होता है:- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका। इन तीनों स्तंभों के सटीक बैलेंस से ही आज कोई भी देश ऊंचाइयों पर जा रहा है या तो रसातल में गिरता जा रहा है। इन तीनों स्तंभों के साथ जो चौथा स्तंभ बेहद जरूरी है वह आध्यात्मिकता का स्तंभ।<br/> धर्म और आध्यात्म में है गहरा अंतर। <br/>धर्म किसी भी मजहब का हो सकता है परंतु आध्यात्म सभी धर्मों की जननी है। धर्म को भी ऊर्जा आध्यात्मिक से ही मिलती है। हर धर्म कहता है कि मीठा बोलना चाहिए परंतु आज यह आवश्यकता है कि हम देखें कि वास्तव में कितने लोग मीठा बोलते हैं।<br/> यह कहना था इंदौर से पधारे हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस भ्राता बी डी राठी जी का और मौका था नीलबड़ स्थित सुख शांति भवन में आयोजित "न्याय क्षेत्र में आध्यात्मिकता" विषयक सत्र का।आगे आपने बताया कि शास्त्रों के हिसाब से जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति एक पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तब सतयुग की स्थापना होगी और यह दिनांक 1 अगस्त 2038 को आने वाली है। अतः उन्होंने समय की नजदीकी पर इशारा करते हुए बताया की पुण्य कर्मों का स्टॉक जमा करने का यही समय है। आगे आपने कहा कि धर्म और भक्ति को आध्यात्मिकता से जोड़ने की जरूरत है। आध्यात्मिकता माना स्वयं की पहचान और स्वयं की पहचान बताते हुए आपने कहा कि हम आम भाषा में मेरा हाथ, मेरे पैर एवं मेरा शरीर ऐसे शब्दों का उपयोग करते हैं जो यह साफ दर्शाता है कि हम यह हाथ, पैर और शरीर ना होकर एक चैतन्य आत्मा है।<br/> दृष्टिकोण सही हो तो सब सही होता है और दृष्टिकोण गलत तो सब गलत। <br/> न्याय क्षेत्र में आध्यात्मिकता की महत्वपूर्णता को बताते हुए उन्होंने एक कहावत सुनाते हुए कहा कि "हवाला में हाउसे सो नल में आओसे" अर्थात जैसे विचार मन वा चित्त में होंगे वैसे ही मुख द्वारा बोल निकलेंगे वा कर्म होंगे। अंत में अपनी वाणी को विराम देते हुए आपने ब्रह्माकुमारीज़ सेवा केंद्रों पर कराए जाने वाले 7 दिवसीय राजयोग का कोर्स सीखने के लिए सभी को आमंत्रण दिया एवं इसे बेहद आवश्यक बताते हुए इसके मूल्य को भी समझाया। यहां यह अवगत करा दें की भ्राता बी डी राठी जी विगत 40 वर्षों से ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़े हुए हैं एवं संस्था में दी जाने वाली शिक्षाओं से अपना जीवन श्रेष्ठ बना रहे हैं।<br/> कार्यक्रम में मौजूद श्री अमित निगम (जिला न्यायाधीश, देवास) एवं एडवोकेट एच एल झा ने भी अपने अनुभवों को साझा किया। <br/>साथ ही दादी हृदय मोहिनी जी, पूर्व मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारीज़ के तृतीय स्मृति दिवस पर सभी ब्रह्मावत्सों ने उनको भावभीनी पुष्पांजलि अर्पित की। उस समय दादी जी की यादो भरा एक वीडियो भी दिखाया गया। <br/> नीलबड़ स्थित सुख शांति भवन की डायरेक्टर बीके नीता दीदी ने सभी पधारे हुए मेहमानों का स्वागत किया एवं अपने आशीर्वचन व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में बीके साक्षी ने मेडिटेशन कमेंट्री द्वारा सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई।
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