व्यापार और उद्योग से समृद्ध और स्वर्णिम भारत

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Sep 21 - 21, 2022 05:30 PM To 07:00 PM
  • Organiser
    PRAJAPITA BRAHMA KUMARIS ISHWARIYA VISHWA VIDYALAYA ( BUSINESS AND INDUSTRY WING )
  • Category
    Talk/Class
  • Project
    General (Azadi Ka Amrit Mahotsav)
  • Occasion
    --
  • Venue
    स्थानीय सेवाकेंद्र ‘प्रभु  उपहार  भवन,  माधौगंज
  • Center Phone
    09479876662
  • Subject/Topic/Theme
    व्यापार और उद्योग से समृद्ध और स्वर्णिम भारत ( General (Azadi Ka Amrit Mahotsav) )
  • Speaker
    ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर की मुख्य इंचार्ज ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी जी, मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमार प्रहलाद भाई
  • Guests
  • Beneficieries
    30
  • Audience Type
    --
  • Links
    --
  • Program Brief
    आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर थीम के अंतर्गत प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के व्यवसाय एवं उद्योग प्रभाग द्वारा "व्यापार और उद्योग से समृद्ध और स्वर्णिम भारत" विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ।<br/>कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर की मुख्य इंचार्ज ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी जी, मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमार प्रहलाद भाई एवं व्यापार से जुड़े अनेक भाई एवं बहनें उपस्थित थे।<br/>कार्यक्रम के शुभारंभ में -<br/>ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज का कार्यक्रम विशेष रूप से व्यवसाय से जुड़े हुए सभी लोगो के लिए रखा गया है l क्योंकि सभी अपने अपने क्षेत्र में अपनी सामर्थ्य अनुसार मेहनत तो सब करते हैं परन्तु कई बार सफलता कम प्राप्त होती है जो कहीं ना कहीं निराशा, क्रोध या डिप्रेशन का कारण बन जाती है l तो अगर हम चाहते हैं कि हमारे व्यवसाय में मेहनत कम और सफलता ज्यादा मिले उसके लिए ज़रूरी है स्वयं को आध्यात्म रूप से सशक्त बनाना तथा अपनी योग्यताओं को निखारना। यदि हम ऐसा करते है तो स्वयं की उन्नति के साथ साथ हमें देश की उन्नति में भी सहयोगी बन सकते है तब ही यह भारत स्वर्णिम और समृद्ध बन पायेगा l आगे दीदीजी ने सभी को प्रतिदिन थोड़ा समय मेंडिटेशन करने को भी कहा।<br/>आगे ब्रह्माकुमार प्रहलाद भाई ने सभी को बताया कि आज स्वयं के लिए तो हर कोई कार्य करता है परन्तु जिस दिन से हम स्वयं के साथ साथ दूसरों के सहयोगी बन कर कार्य करने लग जायेंगे तब आपके चेहरे पर स्वतः ही प्रसन्नता का भाव दिखने लग जाएगाl जैसे कहते भी हैं ना “पेड़ ना खाते कभी अपना फल” और “नदी ना पीती कभी अपना जल”<br/>अर्थात दूसरो के लिए जीना ही असली जीवन है। हम अपनी सोच को परिवर्तन करने अर्थात सकारात्मक बनाने का अभ्यास करें। जिस दिन मेरी सोच परिवर्तित हो गई उस दिन मुझे कम मेहनत में ज्यादा सफलता मिलने लग जाएगी l<br/>दूसरी बात अगर हम चाहते हैं कि हमारी कार्यक्षमता में वृद्धि आ जाए तो उसके लिए ज़रूरी है स्वयं को आध्यात्मिक रीति से सशक्त बनाना क्योंकि आज सभी मनुष्य की शक्ति दिन प्रतिदिन कम हो गयी है। अतः हमें स्वयं को दिव्य गुणों से सुसज्जित करने की आवश्यकता है।<br/>कार्यक्रम के अंत में ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी जी ने सभी को मेंडिटेशन करवाया जिससे सभी को गहन शांति की अनुभूति हुई l
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