जीवन परिवर्तनीय राजयोग प्रदर्शनी

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Jul 11 - 18, 2022 08:00 AM To 08:00 PM
  • Organiser
    PRAJAPITA BRAHMA KUMARIS ISHWARIYA VISHWA VIDYALAYA (DELHI DEFENCE COLONY)
  • Category
    Awareness Session, Exhibition, Meditation Session, Public Event, Spiritual Class, Yoga Event
  • Project
    General (Azadi Ka Amrit Mahotsav)
  • Occasion
    --
  • Venue
    Shiv Mandir, 1404 A, Vazir Nagar, Kotla Mubarakpur, New Delhi - 110003
  • Center Phone
    06350278998
  • Subject/Topic/Theme
    जीवन परिवर्तनीय राजयोग प्रदर्शनी ( General (Azadi Ka Amrit Mahotsav) )
  • Speaker
    --
  • Guests
  • Beneficieries
    500
  • Audience Type
    --
  • Links
    --
  • Program Brief
    भारत के अमृत महोत्सव के अंतर्गत ब्रह्माकुमारीज़ दिल्ली डिफेन्स कॉलोनी सेवा केंद्र द्वारा वज़ीर नगर शिव मंदिर (कोटला मुबारकपुर) में प्रदर्शनी के साथ राजयोग मेडिटेशन का आयोजन किया गया। जिसका नाम जीवन परिवर्तनीय राजयोग प्रदर्शनी था। <br/>सोमवार दिनांक 11 जुलाई से सोमवार 18 जुलाई तक। सुबह 11 से 12 बजे तक, दोपहर 1 से 2 बजे तक एवं शाम 6 से 7 बजे। इसमें ये तीनों समय राजयोग कोर्स के रखे गए। इसका लाभ लगभग 500 से भी अधिक लोगों ने लिया। जिसमें 100 से अधिक लोगों ने कोर्स का भी लाभ लिया। <br/>इस प्रोग्राम में सदा सुख एवं शांतिमय जीवन के लिए राजयोग मैडिटेशन के बारे में बताया गया की वह एक अंतर्जगत की यात्रा है। <br/>ये बताया गया की राजयोग मैडिटेशन से एक निरोगी तन मिलता है, चिंता, भय और भ्रांतियों से मुक्ति के लिए है। डिप्रेशन से मुक्ति के लिए है राजयोग। ज़िन्दगी में तरक्की करने के लिए, श्रेष्ठ कर्मो के लिए और सकारात्मक चिंतन के लिए राजयोग अति आवशयक है। <br/>प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से प्रारम्भ हो जाती है, जहाँ मंदिर में आने वाले व्यक्तियों को भगवान का सच्चा परिचय दिया गया। <br/>हर दिन नए नए प्रोग्राम कराये गए। राजयोग कोर्स कराया गया। पहले आत्मा का, मन बुद्धि और संस्कार का परिचय दिया गया। बताया गया की जिस प्रकार एक ड्राइवर एक गाडी से अलग होता है, उस प्रकार एक आत्मा शरीर से अलग होती है। हड्डी मॉस के पुतले में जीवन एक आत्मा के कारन ही है। <br/>आत्मा चेतन एवं अविनाशी ज्योति-बिंदु हैं जो कि मानव देह में भृकुटी में निवास करती है। <br/>इसके बाद परमात्मा शिव पिता का परिच्य दिया गया कि वह हम आत्मायों के पिता है। हमारे सारे रिश्ते केवल उनके साथ ही हैं। वो निराकार हैं, अजन्मा हैं, सर्व शक्तिशाली हैं, हमारे शिक्षक एवं सतगुरु हैं, सत्य ज्ञान के दाता हैं, सत्य-चित-आनंद स्वरुप हैं, प्रेम शांति आनंद के सागर हैं, जीवन मृत्यु से परे हैं, कर्मो कि गति को जान्ने वाले हैं एवं नर से श्री नारायण बनाने वाले हैं। <br/>इसके बाद तीन लोकों के रहस्य बताया गया, परमधाम, सूक्षम वतन एवं साकार मनुष्य लोक। बताया गया कि परमात्मा परमधाम लोक के निवासी हैं और हम आत्माएं भी परमात्मा के साथ उधर वास करती हैं। सूक्षम वतन में आकरी ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर रहते हैं जिनके कर्त्तव्य ब्रह्मा द्वारा ज्ञान देना, विष्णु द्वारा पालना एवं शंकर द्वारा विकारों का विनाश। <br/>परमात्मा के दिव्य अवतरण के बारे में भी बताया गया। कि कलयुग के अंत में जब विकार इतने ज़्यादा हो जायेंगे कि जीवन जीना मुश्किल हो जायेगा, धर्म कि अति-ग्लानि हो जाये, और मनुष्य सब त्राहि त्राहि करेंगे, तब सबका उद्धार करने, इस धरा पर, परमात्मा अवतरित होते हैं। वह परमधाम से आते हैं मनुष्य लोक हम मनुष्य आत्मायों को ज्ञान सुनाने आते हैं। परमात्मा शिव जो साधारण एवं वृद्ध मनुष्य के तन में अवतरित होते हैं, उसको वे परिवर्तन के बाद प्रजापिता ब्रह्मा नाम देते हैं। <br/>इसके पश्चात शिव और शंकर का अंतर बताया गया कि बहुत व्यक्ति शिव और शंकर को एक ही मानते हैं परन्तु वास्तव में इन् दोनों में अंतर हैं। शंकर सूक्षम वतन वासी हैं तथा शिव परमात्मा हैं परमधाम वासी हैं। <br/>इसके बाद यह ज्ञान भी दिया गया कि परमात्मा सर्वव्यापी नहीं हैं, कण कण में वास नहीं करते, वह परमधाम में रहते हैं। <br/>इसके पश्चात कल्प वृक्ष्य का भी ज्ञान दिया गया कि जिस प्रकार एक बीज से पूरा वृक्ष्य उग्ग जाता हैं, उस प्रकार हम आत्मा बीज रूप हैं, हमसे पूरा सृष्टि रुपी झाड़ उगता है। <br/>इसके बाद मनुष्य के 84 जन्मो कि दिव्य कहानी बताई गयी कि पहले हम सतयुग के वासी थे, देवी देवता रुपी सर्व गुण संपन्न थे, उसके बाद हम त्रेता युग में गए। कुछ कलाएं काम हुई मगर देवी गुण धारी तब भी थे। इसके पश्चात द्वापर युग आया, हम आत्माये शरीर में रहते रहते देह भान में आ गयी, भक्ति करने लग गए। पहले शिव कि लिंग रूप में पूजा कि फिर देवी देवताओं कि पूजा कि। उसके बाद अंत में कलयुग में आये, जहाँ मूर्ति पूजन भक्ति भी तमोप्रधान हो गयी। तभी परमात्मा शिव का अवतरण होता है, संगम युग रचते हैं, हमें ज्ञान सुनते हैं और हमें सतयुग के लायक श्री लक्ष्मी और श्री नारायण बनाते हैं। <br/>सृष्टि नाटक के चक्र के बारे में बताया जिसमे कर्म के बारे में बताया। कि जैसा कर्म हम करेंगे, जैसा कर्म का बीज हम बोयेंगे, वैसा ही फल हम पाएंगे। <br/>विकारों के बारे में बताया गया, मनुष्य के जीवन का लक्ष्य बताया गया। <br/>अंत में राजयोग के बारे में बताया गया कि हमें जीवन को एक कमल पुष्प समान बनाना है। इस पुरानी दुनिया में रहते हुए भी, सब सम्बन्ध निभाते हुए भी, बुद्धि से अलग होना है, सब प्रीत एक परमात्मा शिव पिता से ही निभानी है। <br/>अंत में आत्मा में अष्ट शक्तियों के बारे में भी बताया गया।
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