Program Brief
75वीं आजादी के अमृत महोत्सव पर ब्रह्माकुमारी, ओम शांति सरोवर, उसलापुर के प्रांगण में आयोजित 10 दिवसीय समर् कैंप के समापन के दिन (6 से 15 साल तक के) बच्चों का कल्चरल प्रोग्राम आयोजित किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि माननीय श्रीमती पार्वती वर्मा (डिस्टिक चाइल्ड प्रोटक्शन ऑफीसर), माननीय श्रीमती रोमा बहन (सोशल वर्कर), बीके अर्पणा बहन (आर्ट टीचर, अर्पणा आर्ट अकैडमी, कनाडा) एवं सेवा केंद्र संचालिका बीके छाया दीदी के द्वारा दीप प्रज्वलन किया।<br/>श्रीमती पार्वती वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि ब्रह्माकुमारीज के द्वारा बाल व्यक्तित्व विकास के लिए समर कैंप आयोजित किया गया है; जो आज के बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। यहां बच्चों को एक नई दिशा दी जा रही है जो सराहनीय है और ऐसा कार्यक्रम हर साल आयोजित किया जाना चाहिए।<br/>बीके अर्पणा बहन ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि स्पिरिचुअलिटी की पढ़ाई के बाद टोरंटो में एक्सपेरिमेंट किया कि मेडिटेशन से कैंसर पेशेंट को कैसे ठीक किया जाए, जिसमें उन्होंने पाया कि 98% बीमारी मन के कारण होती है। हम शरीर का ध्यान रखते हैं लेकिन मन का ध्यान नहीं रखते और मन के नेगेटिव संकल्पों का असर हमारे शरीर पर पड़ता है। हम जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं। मन को स्वस्थ रखने के लिए मेडिटेशन आवश्यक है क्योंकि मेडिटेशन करने से नेगेटिव संकल्प खत्म करने की एवं पॉजिटिव संकल्प करने की शक्ति मिलती है। उन्होंने ने कहा कि मैं डेली अपने बेटे को पाज़िटिव संकल्पों से चार्ज किया हुआ पानी और दूध देती जिसके परिणामस्वरूप वह अगले क्लास में फर्स्ट आया। हम पाज़िटिव संकल्पों से स्वयं को, परिवार को, विश्व को परिवर्तन कर सकते हैं।<br/>सेवा केंद्र संचालिका बीके छाया दीदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिस प्रकार कच्ची मिट्टी को जिस आकार में ढालना चाहे ढाल सकते हैं। उसी प्रकार माता- पिता, शिक्षक गण एवं बड़े बुजुर्ग बच्चों को जैसा बनाना चाहें वैसा संस्कार दे सकते हैं। बच्चे बड़ों की नकल जल्दी करते हैं इसलिए आज हम बच्चों को जैसा बनाना चाहते हैं पहले हमें वैसा बनना होगा यदि हम राम बनाना चाहते हैं तो पहले हमें राम बनना होगा, हम चाहते हैं बच्चे हमेशा सच बोलें तो हमें हमेशा सच बोलना होगा, बच्चे मोबाइल, टीवी ज्यादा यूज ना करें तो हमें भी मोबाइल ज्यादा यूज़ नहीं करनी चाहिए। आज बच्चे टीवी मोबाइल देखकर उसे कॉपी करते हैं और विवेक शक्ति जागृत न होने के कारण छोटी उम्र में भटक जाते हैं; यदि अभी की उम्र में हैं बच्चों में भारतीय संस्कृति, पहनावा, अच्छे संस्कार डाले जाएंगे तो बच्चे भटकेंगे नहीं। अच्छा बनाने के लिए जरूरी नहीं कि डॉक्टर, वकील, इंजीनियर ही बने। हर बच्चे की कैपेसिटी अलग-अलग होती है अपने बच्चों की तुलना दूसरों बच्चों से ना करें तो बच्चे अच्छा इंसान जरूर बन सकते हैं। बच्चे खुद शक्तिशाली बन परिवार, समाज, देश की सेवा के योग्य बनेंगे। इसी उद्देश्य से हर साल ब्रह्माकुमारीज के द्वारा समर कैंप आयोजित किया जाता है।<br/>शरण्या शर्मा (उम्र- 9 वर्ष) ने समर कैंप का अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें अष्ट शक्तियों एवं सात गुणों की जानकारी मिली। कहानियों के माध्यम से आज्ञाकारी बनना, सम्मान करना, आत्मविश्वास रखना आदि बातें बताई गई। योगासन, मेडिटेशन, कंसन्ट्रेशन गेम्स एवं एरोबिक एक्सरसाइज में बहुत आनंद आया।<br/>कल्चरल प्रोग्राम में सामूहिक नृत्य- शरण्या शर्मा, आराध्या शर्मा, आध्या कश्यप (गीत-हम बाबा की परियां, परियों का जीवन है न्यारा....….), हिमानी साहू, काव्या साहू (गीत -ओ मखना वे मखना.........), नव्या, हिमानी साहू, काव्या साहू (गीत- लेजा लेजा रे......), अंकिता मेरसा, गरिमा कोरी (गीत- दिलबरो......), प्रेक्षा अमलतास, शुभांशी जोशी, जोशी जोशी (गीत- हम परमपिता के बच्चे हैं.......), देवांश मिश्रा, सत्यम कोरी, अनुज भास्कर, ऐश्वर्य देवांगन, राहुल उरमलिया, अथर्व वस्त्रकार (गीत- बम बम भोले......), राशि सोमावर, प्राची पटवा (गीत- नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए.....), निभा ठाकुर, पल्लवी अनंत (गीत- लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा.......), एकल नृत्य- नायरा बरोलिया (गीत - बरसाने की छोरी......), काव्या साहू (गीत- नैनोवाले ने.....), हंसिका (गीत- याद पिया की आने लगी......), नव्या (गीत- घूमर घूमर घूमर.....), मान्या साहू (गीत- छम छम छम.....), एल प्रकृति कोशले (गीत- वास्ते जा भी दूं......). अतिथियों के द्वारा सर्टिफिकेट और गिफ्ट दिया गया।<br/>बीके कृष्णा बहन ने संस्था परिचय दिया प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना सन 1936 में हुई । इस संस्था का मुख्य उद्देश्य मूल्य निष्ट समाज की स्थापना करना है। यह कार्यक्रम ब्रह्मा कुमारीज संस्था के मुख्यालय माउंट आबू (राजस्थान) के एजुकेशन विंग के द्वारा आयोजित किया गया है। बाल विकास व्यक्तित्व में बच्चों को सुसंस्कृत जीवन के सकारात्मक मूल्य का बीजारोपण का कार्य कर रहे हैं।<br/>बीके खुशी बहन ने बताया कि समर कैंप में बच्चों ने सीखा जीवन की छोटी-छोटी परीक्षाओं को कैसे पार करना चाहिए? हमें सकारात्मक विचार करना चाहिए, शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए हमेशा परमात्मा को साथ रखना चाहिए और यह परिवर्तन बच्चों में दिखाई दे रहा है। प्रतिदिन बच्चे संपूर्ण उमंग उत्साह से समर कैंप उपस्थित रहते थे।<br/>कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन बीके दुर्गा बहन द्वारा किया गया, अतिथियों का तिलक व पुष्प गुच्छ द्वारा स्वागत बीके गरिमा बहन एवं बीके कृष्णा बहन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन बीके गरिमा बहन द्वारा किया गया।