Program Brief
भारत की 75 वी आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए आमगांव तालुका क्षेत्र के 10 ग्राम पंचायतों मे जाकर इस अभियान के माध्यम से किसान भाईयों को शाश्वत योगीक खेती करने एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिज प्रक्रिया, प्राकृतिक संधाधनों से जैविक खाद एवं किटनाशक की निर्मिती एवं उपयोग की विधी खेती में भौतिक तथा पराभौतिक उर्जा का प्रयोग कर प्रकृती के पांचों तत्वो का समन्वय बनाये रखने की विधी, व्यसन मुक्त जीवन तथा राजयोग की शिक्षा द्वारा चिंतामुक्त जीवन जिने की कला आदी विषयो पर मार्गदर्शन किया गया।<br/><br/> भारतीय कृषि परम्परा ने पूरे विश्व के ऊपर अपनी प्रेरक और आदर्श विचारों की छाप छोड़ी है। ऐसी विचार धारा प्रचलित है कि भारत की धरती सोना उगलती थी क्योंकि इसकी उर्वरक शक्ति अद्भुत स्तर की थी। हर तरफ हरियाली एवं लहलहाती फसलों के कारण किसानों के जीवन में खुशहाली थी। भरपूर मात्रा में प्राकृतिक तथा गौसंपदा हुआ करती थी जिसके कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत थी। विश्व बन्धुत्व भावना पर आधारित हर व्यक्ति की सोच, आचार-विचार, व्यवहार तथा बेहतर खान-पान के कारण सभी का जीवन स्वस्थ था। विज्ञान और आध्यात्म के अद्भुत समन्वय द्वारा सुख, शान्ति और समृद्धि से परिपूर्ण कृषि आधारित भारतीय जीवनशैली, सदियों से सम्पूर्ण विश्व के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। भारतीय कृषि हर प्रकार से सक्षम थी सम्भवत: जिसके कारण ही भारत को विश्व गुरु माना जाता था। हमारी ऋषि कृषि परम्परा को यौगिक कृषि पद्धति कहा जाता था। विगत 50-60 वर्षों से प्रचलित रासायनिक कृषि के प्रादुर्भाव ने सदियों पुरानी, उत्कृष्ट भारतीय कृषि के ढांचे को बेहद कमजोर कर दिया है, जिसके पुनर्जीवित करने की आवश्यकता आज पुनः महसूस की जा रही है। जैसे मूल्यनिष्ठ, अहिंसक, स्वस्थ, समृद्ध, शांति, प्रेम और सद्भावना से परिपूर्ण संसार की आवश्यकता आज है, उसका निर्माण भारतीय यौगिक कृषि के मूल में ही | छिपा हुआ है। आज के वैश्विक परिवेश में भारतीय यौगिक कृषि पद्धति सम्पूर्ण विश्वके लिये एक प्रकाश स्तम्भ बन सकती है। यह पद्धति, प्राकृतिक विधि से अन्न उत्पन्न करने के साथ-साथ राजयोग के अभ्यास द्वारा मन को शुद्ध करते हुए ) स्वस्थ, सुखी, स्वर्णिम विश्व के निर्माण में सर्वथा समर्थ है। यौगिक कृषि का प्रकाश सारे विश्व में फैले, उस प्रकाश से ओत प्रोत होकर प्रकृति और पुरुष अपनी सम्पन्न स्थिति को पुन: प्राप्त करते हुये, एक स्वर्णिम विश्व का निर्माण करें, ऐसी हमारी शुभ कामना है ।<br/><br/> प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय का अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय आबू पर्वत, राजस्थान, भारत मे स्थित है। इसकी सहयोगी संख्या राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन के 20 प्रभाग है। जिसमें कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग, सम्पूर्ण ग्राम विकास के लिये सतत प्रयत्नशील है। यह संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ के आशिक एवं सामाजिक परिषद (इ सी ओ एस ओ सी ), यूनिसेफ (यू ऍन आई सी इ एफ ) में सलाहकार सदस्य है तथा यूनेप (यू ऍन इ पी) में ऑब्जर्वर मेम्बर है एवं यूएनसीसीडी (यू ऍन सी सी डी) में ऑब्जर्वर संस्था है। समाज के सभी स्तरों पर सकारात्मक बदलाव लाने के कार्य में इसकी विशेष भूमिका है। इस विश्व विख्यात गौरवशाली संस्था को संयुक्त राष्ट्र ने 6 शांतिदूत पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया है ब्रह्माकुमारी संगठन खाद्य एवं कृषि संस्थान (एफ.ए.ओ.) द्वारा ग्रामीणों के लिए चलाई गयी एज्युकेशन फॉर रूरल पीपुल योजना (इआर पी) का सदस्य रही है। राजयोग के माध्यम से मानवता के लिए उत्कृष्ट योगदान हेतु इसे अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वर्ष 1937 में स्थापित ब्रह्मकुमारीज़ संस्थान विश्व भर के 140 देशों में स्थित अपनी हजारों शाखाओं के माध्यम से मानव कल्याण का कार्य कर रहा है।